
कुंभ मेला भारत के 4 शहर हरिद्वार,प्रयागराज,उज्जैन,एवं नासिक में लगता है यह किसी भी स्थान पर दोबारा 12 साल बाद पुनः लगता है परन्तु प्रयागराज में अर्ध कुंभ 6 वर्षो में भी लगता है।
कुंभ से जुड़ी हुई पौराणिक कहानी
कुंभ मेला समुद्र मंथन से जुड़ा हुआ है , देवताओं और असुरों के बीच समुद्र मंथन हुआ इस मंथन से अमृत का कलश निकला था और इसे पाने के लिए देवताओं और असुरों के बीच युद्ध हुआ था. इस युद्ध के दौरान ही अमृत की कुछ बूंदें धरती पर गिरी थीं, अर्थात जिन 4 स्थानों पर यह बूंदे गिरी उन स्थानों पर कुंभ मेला लगता है अर्थात यह भी मन जाता है कि देवताओं का 1 दिन बारह वर्षों के बराबर होता है इसलिए कुंभ मेला 12 वर्षो में लगता है।
कुंभ का आयोजन करने वाले 4 पवित्र शहर
कुंभ मेले का आयोजन हरिद्वार प्रयागराज उज्जैन नाशिक इन 4 पवित्र स्थानों पर होता है-
हरिद्वार – हरिद्वार में कुंभ मेला गंगा नदी के तट पर लगता है अंतिम बार यहां कुंभ का आयोजन 2021 में हुआ था एवं अगला कुंभ यहां 2033 में लगेगा।
प्रयागराज– प्रयागराज में 2025 में इसी वर्ष कुंभ के मेला गंगा नदी संगम पर लगा हुआ है जो 26 फरवरी महाशिवरात्रि तक आयोजित होगा।
उज्जैन– उज्जैन में हर 12 साल में सिंहस्थ कुंभ का आयोजन क्षिप्रा नदी के तट पर होता है अंतिम बार यहां 2016 में लगा था एवं अगला सिंहस्त कुंभ उज्जैन में 2028 में आयोजित किया जाएगा।
नासिक– नासिक में कुंभ मेले का आयोजन गोदावरी नदी के तट पर होता है अर्थात अंतिम बार 2015 एवं अगला कुंभ मेला 2027 में आयोजित होगा।